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"धरा-व्योम / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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14:54, 17 दिसम्बर 2011 का अवतरण

अंकुरित धरा से क्षमा
व्योम से झरी रुपहली करुणा
सरि, सागर, सोते-निर्झर-सा
उमड़े जीवन :
कहीं नहीं है मरना ।