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धवळो घोड़ो ने जीन कस्या / मालवी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

धवळो घोड़ो ने जीन कस्या
रामदेव भया असवार
फ्लाणा राम आड़ा फरीग्या
रामदेव जी रेवो आज नी रात
गेल्या हुवा रे भोळा मानवी
परजा जोवे हमारी बाट
पवन पंथी हमारा चालणा
जल मांय रैवां रात