Last modified on 12 अगस्त 2013, at 09:47

धुँधलका / देवेन्द्र कुमार

शाम हुई चेहरा दहका
क्या कोई टमाटर पका !

धूप के चुनौटे घर में
खिड़की, दरवाज़े जन्में
चौके का माथा ठनका ।

कुछ इकरंगे, कुछ धागे
कटे खँसी का सिर आगे
मण्डप में मचा तहलका ।

घर को खरगोश मुड़ रहे
पेड़ों के होश उड़ रहे
घुँघरू-सा बजा धुँधलका ।