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"धूप आने की प्रबल संभावना है / हरिराज सिंह 'नूर'" के अवतरणों में अंतर

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ख़ुद को धोखा कब तलक देते रहें हम,
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देर तक हमको इसी पर सोचना है।
  
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द्रौपदी ने दुख भी जीवन में उठाए, 
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इसलिए उससे अधिक संवेदना है।
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धर्म की ही जीत होवे इस जगत में,
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बस हमारी आख़िरी ये प्रार्थना है।
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बात करने से निकल ही आएगा हल,
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बात करके देखो तुम से याचना है।
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‘नूर’ के आने से छँट जाएगा अँधेरा,
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कब अलग इससे कोई संभावना है!
 
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22:22, 24 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

“मत कहो आकाश में कुहरा घना है”।
धूप आने की प्रबल संभावना है।
 
ख़ुद को धोखा कब तलक देते रहें हम,
देर तक हमको इसी पर सोचना है।

द्रौपदी ने दुख भी जीवन में उठाए,
इसलिए उससे अधिक संवेदना है।
 
धर्म की ही जीत होवे इस जगत में,
बस हमारी आख़िरी ये प्रार्थना है।

बात करने से निकल ही आएगा हल,
बात करके देखो तुम से याचना है।
 
‘नूर’ के आने से छँट जाएगा अँधेरा,
कब अलग इससे कोई संभावना है!