दर्द ने भोगे नहीं जिस दिन नयन,
मिल गया उस दिन हृदय को गीत धन ।
जब अँधेरा पी चुके सूरजमुखी,
तब दिखाई दी उन्हें पहली किरन ।
नींद टूटी जिस सपन की शक्ति से,
चेतना के घर मिली उसको दुल्हन ।
फूल जब चुभ गए, तो मन को लगा,
है बडी विश्वस्त काँटों की चुभन ।
देखते ही बनी बिजली की चमक,
जब घटाओं से घिरा उसका गगन ।
छाँह के अहसान से जो बच गया,
धूप के दुख नें किया उसको नमन ।