धूप के साथ गया साथ निभाने वाला
अब कहाँ आएगा वो लौट के आने वाला
रेत पर छोड़ गया नक़्श हज़ारों अपने
किसी पागल की तरह नक़्श मिटाने वाला
सब्ज़<ref>हरा</ref> शाखें कभी ऐसे तो नहीं चीखतीं हैं
कौन आया है परिंदों को डराने वाला
आरीज़-ए-शाम<ref>शाम के गाल</ref> की सुर्खी ने किया फ़ाश उसे
परदा-ए-अब्र<ref>बादल के परदे</ref> में था आग लगाने वाला
सफ़र-ए-शब का तक़ाज़ा है मेरे साथ रहो
दश्त पुर_हौल है तूफ़ान है आने वाला
मुझ को दर_परदा सुनाता रहा क़िस्सा अपना
अगले वक़्तों की हिकायात<ref>कहानी</ref> सुनाने वाला
शबनमी घास घने फूल लरज़ती किरणें
कौन आया है ख़ज़ानों को लुटाने वाला
अब तो आराम करें सोचती आँखें मेरी
रात का आख़िरी तारा भी है जाने वाला