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धूमिल

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धूमिल की कुछ कविताएँ{{KKGlobal}}{{KKParichay|चित्र=Sudama_pandey_dhoomil.jpg|नाम=सुदामा पाण्डेय 1 दिनचर्या|उपनाम=धूमिल|जन्म= 09 नवम्बर 1936  सुबह जब अंधकार कहीं नहीं होगा|जन्मस्थान=खेवली, जिला वाराणसी,उत्तरप्रदेश|मृत्यु=10 फ़रवरी 1975हम बुझी हुई बत्तियों को इकट्ठा करेंगे और आपस |कृतियाँ=[[संसद से सड़क तक / धूमिल| संसद से सड़क तक]] (1972) के लिए 1975 में बांट लेंगे.  दुपहर जब कहीं बर्फ नहीं होगी मध्य प्रदेश शासन साहित्य परिषद द्वारा मुक्तिबोध पुरस्कार से सम्मानित, [[कल सुनना मुझे / धूमिल| कल सुनना मुझे]] के लिये 1979 का साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और न झड़ती हुई पत्तियाँपुरस्कार से से विभूषित।, [[सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र / धूमिल| सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र]] (1983)आकाश नीला और स्वच्छ होगा नगर क्रेन |विविध=[[कल सुनना मुझे / धूमिल| कल सुनना मुझे]] काव्य संग्रह के पट्टे में झूलता हुआ हम मोड़ पर मिलेंगे लिये 1979 का [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] सहित अनेक [[प्रतिष्ठित सम्मान और एक दूसरे पुरस्कार]] से ईर्ष्या करेंगे.से विभूषित।|अंग्रेज़ीनाम=Sudama Pandey Dhoomil, Dhumil|जीवनी=[[धूमिल / परिचय]]|copyright='''श्रीकांत पाण्डेय, धूमिल जनसम्पर्क समिति'''रात जब युद्ध एक गीत पंक्ति की तरह}}{{KKCatUttarPradesh}}प्रिय होगा हम वायलिन को रोते हुए सुनेंगे====कविता संग्रह==== अपने टूटे संबंधों पर सोचेंगे दुःखी होंगे.   2 नगर-कथा  सभी दुःखी हैं सबकी वीर्य-वाहिनी नलियाँ सायकिलों * '''[[संसद से रगड़-रगड़ करसड़क तक / धूमिल]]'''(1972)* '''[[कल सुनना मुझे / धूमिल]]'''(1977)पिंची हुई हैं* '''[[सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र / धूमिल]]'''(1983) दौड़ रहे हैं सब सम जड़त्व की विषम प्रतिक्रिया : सबकी आँखें सजल मुट्ठियाँ भिंची हुई हैं.  व्यक्तित्वों की पृष्ठ* '''धूमिल -भूमि समग्र (तीन खंडो में) / धूमिल''' (2021)====कविताएँ====तुमुल नगर-संघर्ष मचा है आदिम पर्यायों * [[यात्री का परिचरवक्तव्य / धूमिल ]]* [[क़िस्सा ए जनतन्त्र / धूमिल]]विवश आदमी* [[विद्रोह / धूमिल ]]* [[ग़रीबी / धूमिल ]]जहाँ बचा है.* [[आश्वस्ति / धूमिल ]]* [[सार्वजनिक ज़िन्दगी / धूमिल ]] बौने पद-चिह्नों * [[मैंने घुटने से अंकितकहा / धूमिल]]* [[हरित क्रान्ति / धूमिल]]उखड़े हुए मील के पत्थर मोड़-मोड़ पर दीख रहे हैं राहों के उदास ब्रह्मा-मुख ‘नेति-नेति' कह चीख रहे हैं. .  .  3 गृहस्थी : चार आयाम  मेरे सामने तुम सूर्य - नमस्कार की मुद्रा * [[उसके बारे में/ धूमिल]] खड़ी हो और मैं लज्जित-सा तुम्हें चुप-चाप देख रहा हूँ * [[पटकथा / धूमिल]] (औरत : आँचल है, जैसा कि लोग कहते हैं - स्नेह है, किन्तु मुझे लगता है- इन दोनों से बढ़कर औरत एक देह हैलम्बी रचना)* [[मोचीराम / धूमिल]]* [[कुछ सूचनाएँ / धूमिल ]]मेरी भुजाओं में कसी हुई तुम मृत्यु कामना कर रही हो और मैं हूँ- कि इस रात के अंधेरे में देखना चाहता हूँ - धूप का एक टुकड़ा तुम्हारे चेहरे पर  रात की प्रतीक्षा में हमने सारा दिन गुजार दिया * [[हर तरफ धुआं है/ धूमिल ]] * [[रोटी और अब जब कि रातसंसद / धूमिल ]]* [[भेंट / धूमिल ]]आ चुकी है* [[गाँव / धूमिल ]] हम इस गहरे सन्नाटे * [[घर मेंवापसी / धूमिल]]* [[खेवली / धूमिल]] बीमार बिस्तर के सिरहाने बैठकर* [[सिलसिला / धूमिल]]किसी स्वस्थ क्षण * [[धूमिल कीअन्तिम कविता / धूमिल ]]* [[कुछ सूचनाएं / धूमिल ]]प्रतीक्षा कर रहे हैं* [[किस्सा जनतंत्र / धूमिल ]]* [[बीस साल बाद / धूमिल]]* [[घर में वापसी / धूमिल ]]न मैंने* [[दिनचर्या / धूमिल ]]* [[सच्ची बात / धूमिल ]]न तुमने ये सभी बच्चे हमारी मुलाकातों ने जने * [[मेरे घर में पाँच जोड़ी आँखें हैं हम दोनों तो केवल इन अबोध जन्मों के माध्यम बने हैं   / धूमिल की अंतिम कविता   "शब्द किस तरह]]* [[कविता बनते हैं इसे देखो अक्षरों के बीच गिरे हुए आदमी को पढ़ो क्या तुमने सुना की यह लोहे की आवाज है या मिट्टी भ्रम में गिरे हुए खून का रंग"  लोहे का स्वाद लोहार से मत पूछो उस घोड़े से पूछो जिसके मुँह में लगाम है. / धूमिल]]**-**  (साभार - कविता संग्रह - कल सुनना मुझे, युगबोध प्रकाशन, वाराणसी, 1977)[[पुरबिया सूरज / धूमिल]]
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