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ध्यान धरे तुम्हरो निसि बासर / चंद्रकला

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ध्यान धरे तुम्हरो निसि बासर नाम तुम्हारो रटै बिसरै ना।
गावत है गुन प्रेम-पगा मन जोवत है छिन दाह टरे ना।
'चंद्रकला' वृषभानु-सुना अति छीन भई तन दरस परै ना।
वेगि चलो न बिलंब करौ अति ब्याकुल है वह बार बरे ना॥