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ध्यान रहे / विनय मिश्र

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जो आंँखों के पानी में है ध्यान रहे
 वो मेरी निगरानी में है ध्यान रहे

 अंधकार में
 डूबी डूबी रातों की
 देखा देखी
 नहीं चलेगी बातों की
 इक मुश्किल
आसानी में है ध्यान रहे

 बाजारों में
 आज गिरावट भारी है
 जीवन मूल्यों का
 मिटना भी जारी है
 हर रिश्ता
 हैरानी में है ध्यान रहे

 आई घर में
 छंद मुक्त हो भौतिकता
 कविताओं की
 नष्ट हो गई मौलिकता
 जो तुलसी की
 बानी में है ध्यान रहे।