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नंदा देवी-2 / अज्ञेय

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तुम
वहाँ से
मंदिर तुम्हारा
यहाँ है।
और हम-
हमारे हाथ, हमारी सुमिरनी-
यहाँ से-
और हमारा मन
वह कहाँ है?