Last modified on 12 जुलाई 2010, at 12:44

नई नई नित तान सुनावै / भारतेंदु हरिश्चंद्र

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:44, 12 जुलाई 2010 का अवतरण ("नई नई नित तान सुनावै / भारतेंदु हरिश्चंद्र" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नई नई नित तान सुनावै ।
अपने जाल मैं जगत फँसावै ।
नित नित हमैं करै बल-सून ।
क्यों सखि सज्जन नहिं कानून ।