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<Poem>
छुटकी बिटिया अपनी माँ से
करती कई सवाल
चूड़ी-कंगन नहीं हाथ में ना माथे पे पर बैनाहै भूरेमुख मटमैला-मटमैले हैं तेरेसा है तेरा बौराए-से नैनाहैं
इन नैनो का नीर कहाँ है-वो लम्बे-लम्बे बाल?
देर-सवेर सबेर लौटती घर कोजंगल-जंगल फिरतीहै लगती गुमसुम-गुमसुम-सी तूअंदरभीतर-अंदर भीतर तिरतीहै
डरी हुई हिरनी-सी है क्यों-बदली-बदली चाल?
नई व्यवस्था में क्या माँ सबभय ऐसा ही है भी होताहै छतोंछत-मुँडेरों मुडेर पर यों उल्लूअसगुन रातबैठा-रात भर रोताबैठा बोता है
कितना सागर पार करेंगे कैसे सागरजर्जर-से ये हैं पाल?
</poem>
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