भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नए ज़माने का बाज़ार / रजनी अनुरागी

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:16, 17 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रजनी अनुरागी |संग्रह= बिना किसी भूमिका के }} <Poem> अ…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अधिकारों की बात करते ही
मर्यादा हो जाती है छिन्न-भिन्न
और मर्यादा बचाने के
मर्दवादी तरीके हैं भिन्न-भिन्न