रचनाकार=सर्वत एम जमाल संग्रह= }} साँचा:KKCatGazal
नए लहजे उगाए जाते हैं
फिर कसीदे सुनाए जाते हैं
उस तरफ़ कुछ अछूत भी हैं मगर
पाँव किस के धुलाए जाते हैं
जो वफादार हैं वही हर बार
किस लिए आजमाए जाते हैं
कोई बंधन नहीं है, फिर भी लोग
आदतन कसमसाए जाते हैं
मुल्क में अक्लमंद हैं अब भी
कैदखानों में पाए जाते हैं
पहले मन्दिर बनाए जाते थे
आजकल मठ बनाए जाते हैं
हम ने ख़ुद को बचाया है ऐसे
जैसे पैसे बचाए जाते हैं
यह अँधेरा हमारा क्या लेगा