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"नए साल की सुबह : एक चित्र / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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<poem>इकतीस दिसम्बर की रात
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की जमी हुई झील को पार कर  
 
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पूर्व की देहरी
 
पूर्व की देहरी

02:06, 25 मार्च 2011 के समय का अवतरण

इकतीस दिसम्बर की रात
की जमी हुई झील को पार कर
पूर्व की देहरी
की ओर जा रहे सूरज संग चली
नव वर्ष की भोर-दुल्हन
देहरी तक पहुंचते-पहुंचते
ठर कर अचेत हो गई

लगा है सूरज
अपनी देह से उसकी देह गरमाने

लो,
धीरे-धीरे छंटने लगा कोहरा
फूटने लगा हल्का-हल्का उजास
सुगबुगाहट-सी हुई देख देह में

संतोष की सांस ली सूरज ने
खिल-खिल उठे लोग
भोर-दुल्हन के दर्शन कर

छ्त-आंगन और चौक में
खेलने लगे बच्चे
खिलखिलाती धूप में
खिलखिलाने लगे बच्चे !