Last modified on 10 मार्च 2011, at 14:23

नक्शा मीटिंग और सलाम / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:23, 10 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान |संग्रह=तपती रेती प…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नक्शा मीटिंग और सलाम

नोन तेल लकड़ी के दाम
कुर्सी के मुँह लगी हराम
बहती गंगा हाथ धो रहे
साहब , बीबी और गुलाम
बड़े निराले जिनके ठाठ
मिलकर करते बंदरबाँट
अपनी अपनी फिकर सभी को
देश हो रहा बारहबाँट
लोकतंत्र के
जादू टोेने
नक्शा मीटिंग और सलाम
बस्ती बस्ती जंगलराज
हर टहनी पर बैठे बाज
राजमहल
गा रहा तराने
सिर पर रख सोने का ताज
कठपुतलियाँ
सम्हाले बैठीं
चाबुक, कुंजी और लगाम।