Last modified on 23 जून 2017, at 15:31

नगर-नगर बढ़ रही अमीरी / बलबीर सिंह 'रंग'

नगर-नगर बढ़ रही अमीरी, मेरा गाँव गरीब है,
अपना गाँव गरीब है, सब का गाँव गरीब है।

यहाँ चेतना दफन हो गई चिन्ता के श्मशान में
गलियारों में बचपन कटता तरुणाई सुनसान में
अंधकार का राज यहाँ है सौ-सौ कोस प्रकाश है
आग लगी खेतों में, पानी बरस रहा खलिहान में

जनहित सारा सौंप दिया है ‘दलपति’ के अधिकार में
‘हलपति’ की अब कौन सुनेगा दिल्ली के दरबार में
इससे बढ़कर प्रजातंत्र का हो सकता सम्मान क्या
‘स्वामी’ पैदल मारे फिरते, सेवक चलते कार में।

बरबादी का अद्भुत कारण, आबादी इन्सान की
कैसी दुर्गति हुई अमर बापू के हिन्दुस्तान की
अभिशापित मानवता श्रम के मुँह की ओर निहारती
वरदानों के भंडारी की चिंता है श्रम-दान की

कुछ न करे सो बड़ा आदमी, यह सिद्धान्त अजीब है
नगर-नगर बढ़ रही अमीरी, मेरा गाँव गरीब है,
अपना गाँव गरीब है, सब का गाँव गरीब है।


गाँव-गाँव में बिजली कर दी खेत-खेत में नीर है
फिर भी मूढ़ किसान आज का नाहक हुआ अधीर है
दिन पर दिन बढ़ते जाते हैं उत्पादन के आँकड़े
सेवा करना नहीं किसी के बाबा की जागीर है

धान उगाओ वैसे जैसे बोते हैं जापान में
मेहनत ऐसी करो कि जैसी है रूसी मैदान में
दिया तले है अगर अंधेरा इसकी चर्चा व्यर्थ है
नाम हमारा पूछो अमरीका या इंग्लिस्तान में

लोग कहा करते हैं यह तो आजादी है नाम की
क्योंकि सुबह के भूले को भी खबर न आती शाम की
रमते फिरें विनोबा भावे, टंडन जी बैठे रहें
राज भवन में करते हैं हम बातें सेवाग्राम की

स्वतंत्रता के दाताओं से मिली यही तहजीब है
नगर-नगर बढ़ रही अमीरी, मेरा गाँव गरीब है,
अपना गाँव गरीब है, सब का गाँव गरीब है।

विधि का कौतुक, कलाकार को तन दे दिया किसान का
और साथ ही साथ दे दिया मन सम्राट महान का
कानूनों के लिये न्याय है, सत्य शपथ के वास्ते
विध्वंसो के साथ कर लिया समझौता निर्माण का

जोरावर जाटव के घर में बीमारी घर कर गई
कल ही उसकी सुघड़ पतोहू तड़प-तड़प कर मर गई
सयंत हो कर कहता हूँ मैं इसे न लो आवेश में
बिना दवा के मरी अभागिन ‘धन्वन्तरि के देश में

जब तक नंगे बदन ‘बिहारी’ या ‘गोपी’ मुहताज है
तब तक कोई कैसे कह दे सचमुच हुआ सुराज है
पर निराश होने की कोई बात नहीं है साथियो
सदा नहीं रह सकती ऐसी हालत जैसी आज है

क्रांति पर्व के उद्घाटन का उत्सव बहुत करीब है
नगर-नगर बढ़ रही अमीरी, मेरा गाँव गरीब है,
अपना गाँव गरीब है, सब का गाँव गरीब है।