नदी उल्टी बहाने पर तुले हैं ।
वो सागर को सुखाने पर तुले हैं ।
ये मौसम जाने किस आज़र की शह पर,
मुझे पत्थर बनाने पर तुले हैं ।
मिरे साए भी अपना क़द बढ़ा कर,
मुझे नीचा दिखाने पर तुले हैं ।
मुझे अपना बनाने के लिए वो,
मिरी हस्ती मिटाने पर तुले हैं ।
जहाँ गहराई बिल्कुल भी नहीं है,
वहाँ सब डूब जाने पर तुले हैं ।