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नद्दी नद्दी दिया बळऽ रे काई जनावर जाय / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

“नद्दी नद्दी दिया बळऽ रे, काई जनावर जाय,
हरणी को पिलको ढोर चरावण जाय।
ला ओ माय बकेड़ी।"