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"ननँद निनारी सासु माइके सिधारी / अज्ञात कवि (रीतिकाल)" के अवतरणों में अंतर
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ननँद निनारी सासु माइके सिधारी , | ननँद निनारी सासु माइके सिधारी , |
23:18, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
ननँद निनारी सासु माइके सिधारी ,
अहै रैन अँधियारी भारी सूझत न करु है ।
पीतम को गौन कविराज न सुहात भौन ,
दारुन बहत पौन लाग्यो मेघ झरु है ।
सँग ना सहेली बैस नवल अकेली ,
तन पर तलबेली महा लाग्यो मैन सरु है ।
भई अधरात मेरो जियरा डेरात ,
जागु जागु रे बटोही इहाँ चोरन को डरु है ।
रीतिकाल के किन्हीं अज्ञात कवि का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।