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नन्द के द्वार मची होरी / ब्रजभाषा

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बाबा नछ के द्वार मची होरी॥ टेक
कै मन लाल गुलाल मँगाई, कै गाड़ी केशर घोरी।
दस मन लाल गुलाल मँगाई, दस गाड़ी केशर घोरी।1।
कौन के हाथ कनक पिचकारी, कौन के साथ रंग की पोरी।
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी, मनसुख हाथ रंग की पोरी।2।
कै री बरस के कुँवर कन्हैया, कै री बरस राधा गोरी
सात बरस के कुँवर कन्हैया, पाँच बरस की राधा गोरी।3।
घुटुवन कीच भई आँगन में, खेलैं रंग जोरी जोरी
चन्द्रमुखी भजु बालकृष्ण छवि बाबा नंद खड़े पोरी।4॥