भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नन्द ते भाबो रल मिल बेठियाँ ते / पंजाबी

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:31, 19 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नन्द/भाभी की रुस मनाहट

नन्द ते भाबो रल मिल बेठियाँ ते
करदियाँ कोल कलाप
जे मेरे घर लड़का होया नी नणदे देसा में फुलजडियाँ
वीरन दे घर लड़का जे होया
लोक वदइयां दे
लोक वदायियाँ लै जे बैठे वे राजे
भैण वदायियाँ दे
भैण वदायियाँ नहीं जे लैंदी वे लोको
मंगदीये फुलजडियाँ
फुलजडियाँ वडे शावां दे घर नी भैणे
साडे नहीं फुलजडियाँ
ओ गई ओ गई रुस वे गई ए भैणा
ओ गई ए अटकों पार
वीरन ने फुलजडियाँ दित्तियां वे लोको
आन्दिसू भैण मना