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नयन हँसे / कविता भट्ट

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दिया जीवन -दान
'''करूँ अमृतपान।'''
2
अहो! कर्त्तव्य !
विराग में खड़ा है-
मूक ,जड़,बधिर,
मद में चूर
'''अधिकार- मुस्काए'''
सिंहासन विराजे।
<poem>