भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
दिया जीवन -दान
'''करूँ अमृतपान।'''
2
अहो! कर्त्तव्य !
विराग में खड़ा है-
मूक ,जड़,बधिर,
मद में चूर
'''अधिकार- मुस्काए'''
सिंहासन विराजे।
<poem>