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नया गीत गावे द / हरेश्वर राय

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खोल द केवाड़ी आ तेज हवा आवे द
कोना के सीलन के गरदा उड़ावे द I

साँस लिहल मुसकिल बा घुटता दम
फोरे द देवाल एगो खिड़की बनावे द I

आज रतिया सियाही से बिया नेहाइल
दीया के टेम्ही से खोठी हटावे द I

चारु देने फइलल बा चुप्पी के जंगल
चुप्पी के जंगल प ढेला चलावे द I

बंदी जुबान के रिहाई जरूरी बा
जाए द बहरी आ नया गीत गावे द I