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नया दिन आवत बा / रामदेव द्विवेदी ‘अलमस्त’

नया दिन आवत बा
देख दुनिया बदलत जाता
नया दिन आवत बा।।
निसिभेद रात गइल
फरिछ बिहान भइल
हँसत किरिनियाँ भोरे
सोनवाँ लुटावत बा।।
नया दिन.....
जाग जाई लोग सब
जाग जाई सोग सब
आई कहिया जोग ऊहो
काग उचरावत बा।।
नया दिन.....
कइसन-कइसन बाबू लोग
त्यागि राज-सुख-भोग
नेता जी कहावे खातिर
टोकरी उठावत बा।।
नया दिन.....
मलहा के छौंड़ा अबके
बोलत नइखे तनिको दबके
उड़त चिल्ह-गड़िया पर
कनखी चलावत बा।।
नया दिन.....
पहिला रवैया-काज
छोड़ ‘अलमस्त’ आज
गाव गीत जइसन युग
बँसिया बजावत बा।।
नया दिन.....