भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नया साल ख़ुशियोँ का पैग़ाम लाए / अहमद अली 'बर्क़ी' आज़मी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अहमद अली 'बर्क़ी' आज़मी |संग्रह= }} Category:ग़ज़ल <poem> ...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=अहमद अली 'बर्क़ी' आज़मी | |रचनाकार=अहमद अली 'बर्क़ी' आज़मी | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
− | }} | + | }} |
+ | {{KKAnthologyNewYear}} | ||
[[Category:ग़ज़ल]] | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
<poem> | <poem> |
02:07, 25 मार्च 2011 के समय का अवतरण
नया साल ख़ुशियोँ का पैग़ाम लाए
ख़ुशी वह जो आए तो आकर न जाए
ख़ुशी यह हर एक व्यक्ति को रास आए
मोहब्बत के नग़मे सभी को सुनाए
रहे जज़ब ए ख़ैर ख़्वाही सलामत
रहें साथ मिल जुल के अपने पराए
जो हैँ इन दिनोँ दूर अपने वतन से
न उनको कभी यादें ग़ुर्बत सताए
नहीँ खिदमते ख़ल्क़ से कुछ भी बेहतर
जहाँ जो भी है फ़र्ज़ अपना निभाए
मुहबबत की शमएँ फ़रोज़ाँ होँ हर सू
दिया अमन और सुलह का जगमगाए
रहेँ लोग मिल जुल के आपस में बर्क़ी
सभी के दिलोँ से कुदूरत मिटाए