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नया साल ख़ुशियोँ का पैग़ाम लाए / अहमद अली 'बर्क़ी' आज़मी

नया साल ख़ुशियोँ का पैग़ाम लाए
ख़ुशी वह जो आए तो आकर न जाए

ख़ुशी यह हर एक व्यक्ति को रास आए
मोहब्बत के नग़मे सभी को सुनाए

रहे जज़ब ए ख़ैर ख़्वाही सलामत
रहें साथ मिल जुल के अपने पराए

जो हैँ इन दिनोँ दूर अपने वतन से
न उनको कभी यादें ग़ुर्बत सताए

नहीँ खिदमते ख़ल्क़ से कुछ भी बेहतर
जहाँ जो भी है फ़र्ज़ अपना निभाए

मुहबबत की शमएँ फ़रोज़ाँ होँ हर सू
दिया अमन और सुलह का जगमगाए

रहेँ लोग मिल जुल के आपस में बर्क़ी
सभी के दिलोँ से कुदूरत मिटाए