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नये थे जो पुराने हो गये हैं / कैलाश झा 'किंकर'

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नये थे जो पुराने हो गये हैं
पकी फसलों में दाने हो गये हैं।

गये अब दूध के सब दाँत मुँह से
ये बच्चे अब सयाने हो गये हैं।

सभी की अब गवाही हो चुकी है
अलग सबके फसाने हो गये हैं।

नहीं तेरा नहीं मेरा ज़माना
तिजारत के ठिकाने हो गये हैं।

उठी फिर से हवा पछुआ निगोड़ी
कई बूढ़े निशाने हो गये हैं।