भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नवल मेरे जीवन की डाल / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= गुंजन / सुमित्रानंदन …)
 
छो ("नवल मेरे जीवन की डाल / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
(कोई अंतर नहीं)

11:40, 13 मई 2010 का अवतरण

नवल मेरे जीवन की डाल
बन गई प्रेम-विहग का वास!
आज मधुवन की उन्मद वात
हिला रे गई पात-सा गात,
मन्द्र, द्रुम-मर्मर-सा अज्ञात
उमड़ उठता उर में उच्छ्वास!
नवल मेरे जीवन की डाल
बन गई प्रेम-विहग का वास!
मदिर-कोरों-से कोरक जाल
बेधते मर्म बार रे बार,
मूक-चिर प्राणों का पिक-बाल
आज कर उठता करुण पुकार;
अरे अब जल-जल नवल प्रवाल
लगाते रोम-रोम में ज्वाल,
आज बौरे रे तरुण-रसाल
भौंर-मन मँडरा गई सुवास!

रचनाकाल: मार्च’ १९२८