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नवी हवा / हरीश बी० शर्मा

नवी हवा रा लैरका
सरणाट बैवै है
प्रीत-प्रेम री बातां रो उळझाव
राखणो चावै ई कोनी
अेक-दूजै री दोनूं
गरज जाणै है
‘गरज मिटी अर गूजरी नटी’
लेणै-देणै री लटकाण
ऐसाण अर ओळभै रो माण
बिरथा भार कुण ढोवै है?
नवै जुग रो साच
हवा री सौरम नैं कांई दोस?