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नव कनियाक स्वागत / रमापति चौधरी

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आउ, बसाउ, हंसाउ, सुहागिनि, घर-आंगन अहां आइ
दुलहिन, घर आंगन अहां आइ।

सासु-ननदि, कुलश्रेष्ठ दियादिनि, जैधी-जाउत सुहाय
वृद्ध ससुर अरु देवर भैंसुर, प्रिय परिवार हंकारि
छी सब हर्षित, स्वागत करइत, लक्ष्मी अयली दुआरि॥ दुलहिन.

सेवा-धर्म अरु प्रीति परस्पर, सुख-दुख संजलगाउ
हिलि-मिलि, हिलि-मिलि घर फुलवारी, ड्यौढ़ी ज्योती जगाउ॥ दुलहिन.

फूलू-फलू खुशी रहू सब दिन, अचल रहए अहिवात।
आशीर्वचन सबहुं मिलि दै छी, हुअए सुन्दर प्रात॥

कहथि रमापति, मनहि विचारिय सेवाधर्म अपार।
घर-घर, जन-जन, पद-पद पायब, होयत सुख संचार॥

दुलहिन, घर आंगन अहां आइ।
आउ, बसाउ, हंसाउ, सुहागिनि, घर-आंगन अहां आइ॥