Last modified on 26 सितम्बर 2012, at 18:23

नव यौवन अभिरामा / विद्यापति

कि आरे, नव यौवन अभिरामा !
जत दखल तत कहहि न पारिअ छलो, अनुपम एक ठामा !

हरिन इन्दु अरविन्द करनी हेम पिक बुझल अनुमानी !
नयन बयन परिमल गति तनुरुची ओ गति सुललित बानी !

कुचजुग उपर चिकुर फूजी पसरल ना अरुझाएल हारा !
जनि रे सुमेरु ऊपर मिली उगल चाँद विहीन सबे तारा !

लोल कपोल लुलित मणि - मुंडल अधर बिम्ब अध् जाई !
भजहु भमर नासापुट सुन्दर से देखि कीर लजाई !

भनहिं विद्यापति से वर नागर आन न पाबए कोई !
कंस दलन नारायण सुन्दर तसु रंगीनि पए होई !