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नव वर्ष मंगलमय हो / अनिल करमेले

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यह उठते हुए नए साल की सुबह है
धुंध कोहरे और काँपती धरती की
अजीब स्तब्ध सनसनी में छटपटाती

सूरज भी जैसे मुँह छुपा रहा
बीते साल के रक्तिम सवालों से

चमक रहे हैं मक्कार चेहरे वैसे ही
वैसे ही जुटे हुए हैं
सभी किस्म के हत्यारे

करोड़ों बच्चे काम के रास्ते में हैं
उत्तर आधुनिक नरक में हैं करोड़ों स्त्रियाँ

एक बड़े व्यापारिक घराने
और उस पर लुढ़कते शेयर बाज़ार पर
औंधे मुँह पड़ा है मीडिया
और बिकती गवाहियों की
क्रुर मुस्कराहटों पर
हाय-हाय करता हुआ न्याय
मुआवज़े की कुछ नहीं जैसी राहत से
ज़हरीली साँसों को बमुश्किल थामे हुए
फिर तिनके जुटा रहे हैं
शहर के बाशिंदे

इस देश के सच्चे धार्मिक
फिर रोने-रोने को हैं
अधर्मियों की कारगुज़ारियों पर
फिर शुरू होने जा रही हैं
सियासी कलाबाजियाँ
मधुबालाओं और मीनाकुमारियों
की जूतियों की धूल
कई मल्लिकाएँ
अश्लील चुटकुलों की तरह
हमारे ड्राइंग रूम में
बरस रही हैं लगातार

कल जैसा ही हाहाकार है चहुँ ओर
कल जैसे ही दु:ख हैं और
आँखें हैं आँसू भरी-भरी
कल के असीम जश्न के बाद
यह नया साल है
जीवन है पेड़ हैं बच्चे हैं
उम्मीदें कायम हैं
अब का समय सुख का बीते
नए साल में यही मंगल कामनाएँ हैं।