भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नसीहत / इक़बाल

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:19, 17 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इक़बाल }} {{KKCatNazm}} <poem> बच्चा-ए-शाहीं<ref>बाज़(पक्षी)के ब…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


बच्चा-ए-शाहीं<ref>बाज़(पक्षी)के बच्चे से</ref> से कहता था उक़ाबे-साल -ख़ुर्द<ref>बूढ़ा उक़ाब</ref>
ऐ तिरे शहपर<ref>पंख</ref> पे आसाँ रिफ़अते- चर्ख़े-बरीं<ref>आकाश की ऊँचाई</ref>

है शबाब<ref>यौवन</ref>अपने लहू की आग मे‍ जलने का काम
सख़्त-कोशी<ref>कठोर परिश्रम</ref>से है तल्ख़े-ज़िन्दगानी<ref>जीवन का कड़वापन</ref>अंग-बीं<ref>शहद, मधु</ref>

जो कबूतर पर झपटने मे‍ मज़ा है ऐ पिसर
वो मज़ा शायद कबूतर के लहू मे‍ भी नहीं
 

शब्दार्थ
<references/>