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नाकाबाती छीं / बालकृष्ण गर्ग

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सर्दी में थर-थर,
गर्मी में लू-लू ।

तुम करते हा-हा,
हम करते हू-हू ।

मीठा-मीठा गप,
कड़वा-कड़वा थू ।

नाकाबाती छीं,
कानाबाती कू ।