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नाक / अनिता मंडा

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बड़ी बहू सचमुच नाकदार थी पूरे ख़ानदान की
कभी नज़र उठाकर नहीं देख पाया
उसकी तरफ़ कोई भी

मझली की भी ठीक ही थी नाक
बच्चे सारे उसी पर गए
बिटिया को सब परी बताते थे

छोटी बहू की इतनी बड़ी नाक
हर कोई ताना देकर कह देता
चिराग़ लेकर ढूँढ़ी होगी
इतनी बड़ी नाक वाली
क्या छुटका आसमान से टपका था

कई दिनों तक दोस्तों ने उसका मज़ाक़ उड़ाया
दुल्हन नहीं नाक आई है
सुना था साल तक
छुटका चौबारे में ही सोता था

घर का आँगन रसोई दीवारें
यहाँ तक कि आसमान भी
गूँजता था नाक की चर्चा से

अम्मा को जब गठिया हुआ
घुटनों पर ग्वारपाठे की ख़ूब मालिश की
छुटके की बड़ी नाक वाली बहू ने
और बाऊजी को जब अपाहिज कर दिया
मुएँ पक्षाघात ने
गीला-सूखा करने में कभी
नाक-भौं नहीं सिकोड़ी छोटे की बहू ने
ननदों को सदा पहना-ओढ़ा भेजती है
छोटे की बहू

कब इतना समय बह गया नदी की तरह
कि अब सास बनने वाली है छोटी बहू
जोर-शोर से ढूँढ़ी जा रही है लड़की

खाट में पड़ी अम्मा कहती है
"सुवटे की चोंच-सी" होना चाहिए
दुल्हन की नाक।