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aaj hamara jo bhi kuch hai
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saab tera hi hai
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yah shabd aur yah jibh
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yah sukh aur dukh
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yah swapn aur yatharth
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yah bhuk aur pyas
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samast punya tere hi hai</poem>
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kavita sangrah-tujhe bot dharun chalalo ahe mi kavi-namdev dhasal(teri ungli tham kar chalu hu main)
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prakashan-lokvangmay griha, mumbai
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नामदेव ढसाल (नामदेव ढसाळ)
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जन्म: 15 फ़रवरी 1949
जन्म स्थान
पूना के निकट एक गाँव में, महाराष्ट्र, भारत ।
कुछ प्रमुख कृतियाँ
गोलपीठा (1972), मूर्ख म्हातार्‍याने डोंगर हलवले (1975), आमच्या इतिहासातील एक अपरिहार्य पात्र : प्रियदर्शिनी (1976), तुही यत्ता कंची (1981), खेळ (1983), गांडू बगीचा (1986), या सत्तेत जीव रमत नाही (1995), मी मारले सूर्याच्या रथाचे घोडे सात, तुझे बोट धरुन चाललो आहे आदि कुल ग्यारह कविता-संग्रह ।
विविध
दलित पैंथर आन्दोलन के संस्थापक (1972), बुद्ध रोहिदास विचार गौरव पुरस्कार (2009), साहित्य जीवन गौरव पुरस्कार (2004) और पद्मश्री पुरस्कार । कविताओं के अलावा नाटक और उपन्यास भी लिखे हैं।
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