Changes

नाम-रूप का भेद / काका हाथरसी

32 bytes removed, 18:47, 28 अक्टूबर 2009
|रचनाकार=काका हाथरसी
}}
{{KKCatKavita}}
[[Category:हास्य रस]]
<poem>
नाम - रूप के भेद पर कभी किया है ग़ौर ?
 
नाम मिला कुछ और तो शक्ल - अक्ल कुछ और
 
शक्ल - अक्ल कुछ और नयनसुख देखे काने
 
बाबू सुंदरलाल बनाये ऐंचकताने
 
कहँ ‘ काका ' कवि , दयाराम जी मारें मच्छर
 
विद्याधर को भैंस बराबर काला अक्षर
 
 
मुंशी चंदालाल का तारकोल सा रूप
 
श्यामलाल का रंग है जैसे खिलती धूप
 
जैसे खिलती धूप , सजे बुश्शर्ट पैंट में -
 
ज्ञानचंद छै बार फ़ेल हो गये टैंथ में
 
कहँ ‘ काका ' ज्वालाप्रसाद जी बिल्कुल ठंडे
 
पंडित शांतिस्वरूप चलाते देखे डंडे
 
 
देख अशर्फ़ीलाल के घर में टूटी खाट
 
सेठ भिखारीदास के मील चल रहे आठ
 
मील चल रहे आठ , करम के मिटें न लेखे
 
धनीराम जी हमने प्रायः निर्धन देखे
 
कहँ ‘ काका ' कवि , दूल्हेराम मर गये कुँवारे
 
बिना प्रियतमा तड़पें प्रीतमसिंह बेचारे
 
 
 
पेट न अपना भर सके जीवन भर जगपाल
 
बिना सूँड़ के सैकड़ों मिलें गणेशीलाल
 
मिलें गणेशीलाल , पैंट की क्रीज़ सम्हारी
 
बैग कुली को दिया , चले मिस्टर गिरधारी
 
कहँ ‘ काका ' कविराय , करें लाखों का सट्टा
 
नाम हवेलीराम किराये का है अट्टा
 
 
चतुरसेन बुद्धू मिले , बुद्धसेन निर्बुद्ध
 
श्री आनंदीलाल जी रहें सर्वदा क्रुद्ध
 
रहें सर्वदा क्रुद्ध , मास्टर चक्कर खाते
 
इंसानों को मुंशी तोताराम पढ़ाते
 
कहँ ‘ काका ', बलवीर सिंह जी लटे हुये हैं
 
थानसिंह के सारे कपड़े फटे हुये हैं
 
 
बेच रहे हैं कोयला , लाला हीरालाल
 
सूखे गंगाराम जी , रूखे मक्खनलाल
 
रूखे मक्खनलाल , झींकते दादा - दादी
 
निकले बेटा आशाराम निराशावादी
 
कहँ ‘ काका ' कवि , भीमसेन पिद्दी से दिखते
 
कविवर ‘ दिनकर ’ छायावदी कविता लिखते
 
 
तेजपाल जी भोथरे , मरियल से मलखान
 
लाला दानसहाय ने करी न कौड़ी दान
 
करी न कौड़ी दान , बात अचरज की भाई
 
वंशीधर ने जीवन - भर वंशी न बजाई
 
कहँ ‘ काका ' कवि , फूलचंद जी इतने भारी
 
दर्शन करते ही टूट जाये कुर्सी बेचारी
 
 
 
खट्टे - खारी - खुरखुरे मृदुलाजी के बैन
 
मृगनयनी के देखिये चिलगोजा से नैन
 
चिलगोजा से नैन , शांता करतीं दंगा
 
नल पर नहातीं , गोदावरी , गोमती , गंगा
 
कहँ ‘ काका ' कवि , लज्जावती दहाड़ रही हैं
 
दर्शन देवी लंबा घूँघट काढ़ रही हैं
 
 
अज्ञानी निकले निरे पंडित ज्ञानीराम
 
कौशल्या के पुत्र का रक्खा दशरथ नाम
 
रक्खा दशरथ नाम , मेल क्या खूब मिलाया
 
दूल्हा संतराम को आई दुल्हन माया
 
‘ काका ' कोई - कोई रिश्ता बड़ा निकम्मा
 
पार्वती देवी हैं शिवशंकर की अम्मा
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits