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नाम बिना तन विरथा गमायो / संत जूड़ीराम

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नाम बिना तन विरथा गमायो।
नाहक मार मरो माया की भौसागर को भार लदायो।
जुग-जुग गये अचेत भजन बिनु फिर-फिर काल बाँध लटकायो।
अब मन चेत हेत कर हरसों अंतकाल कोई काम ना आयो।
बेआगी की आग लगी है बुझत नहीं बिन वारि भुलायो।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें बिन सतगुरु को खोजन पायो।