नाम बिना नहिं मिलत ठिकानो।
भूलो फिरत चहुंदिस व्याकुल ले सिर भार हार न मानो।
बही जात भौसागर माही फिर-फिर जमके हाथ बिकानो।
आँखि लाल खोल नहिं देखत बिनु गुरु संध्य परत नहिं जानो।
करत विहार हार नहिं मानत जानत जनम जगत बोरानो।
बिन सतसंग रंग नहिं दरसे जूड़ीराम नाम पहचानो।