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नाम मेरा मिटा दिया उसने / कैलाश झा 'किंकर'

नाम मेरा मिटा दिया उसने
कल खिलौना दिया हटा उसने।

भीड़ में कौन किसको जाने है
 फिर भी मुँह को घुमा लिया उसने।

शोख चंचल हसीन रातों में
चाँद तारे लिया सजा उसने।

वक़्त से वह बड़ा न हो सकता
फिर भी इतिहास को लिखा उसने।

एक "किंकर" से कुछ न हो सकता
इसलिए सिर लिया झुका उसने।