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नायक / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

छला ‘करंडु’ कलिंगक राजा करइत बनक बिहार
आम गाछ फल लदल देखि तोड़ल फल ढेप प्रहार
बढ़ला आगाँ दिस हाथी चढ़ि तावत जत छल लोक
एक एक फल तोड़ि सून कय देल गाछ बिनु रोक
ने फल केवल, ढेप-चेपसँ पातो धरि झरि गेल
फिरितहिँ देखल भूप दशा, तँ मन बिचार भरि गेल
नायक यदि अपने करइत छथि उच्छृंखल व्यवहार
अनुयायी उद्धत भय जगतक कय दै अछि संहार