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नावक कहें सिनाँ कहें तलवार क्या कहें / मुबारक अज़ीमाबादी

नावक कहें सिनाँ कहें तलवार क्या कहें
तू ही बता मुझ निगह-ए-यार क्या कहें

शिकवा न दाम का है न सय्याद का गिला
हम आप हो गए हैं ग़िरफ्तार क्या कहें

इज़हार-ए-हाल-ए-दिल का ऐसों से फाएदा
आज़ार दिल का तुझ से दिल-आज़ार क्या कहें

करते हैं वाइज आप मज़म्मत शराब की
कहते हैं क्या जनाब को मै-ख्वार क्या कहें

ऐसों से तर्क-ए-मय का ‘मुबारक’ सवाल क्या
तौबा की तुझ से रिंद-ए-कद़ह-ख़्वार क्या कहें