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ना मारो मोहे कोख में माई / दिनेश देवघरिया

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ना मारो मोहे कोख में माई
देखन दो मोहे दुनिया रे
मैं तो हूँ तेरी परछाई
तेरी नन्हीं गुड़िया रे।

खुशबू बनकर आऊँगी मैं
घर-आँगन महकाउंगी मैं
पायल की रुनझुन मैं माई
मैं हूँ खुशियों की पूरबाई।
दर्द मेरा जो तु ना समझी
क्या समझेगी दुनिया रे।
ना मारो...

भईया की सुनी है कलाई
मैं रेशम का धागा माई।
सुख-दुख तेरे बाँटूंगी मैं
नानी बनकर डाँटूंगी मैं।
तेरे आँसू मेरे नयना
मैं जादू की पुड़िया रे।
ना मारो...

ना दें चाहे कोई खिलौना
हीरे, मोती ना दें गहना
बाबुल से बस इतना कहना
चाहुँ उनके दिल में रहना।
नाम करेगी उनका रौशन
उनकी नन्हीं मुनिया रे।
ना मारो...