Last modified on 4 अगस्त 2018, at 18:37

ना शिकाइति कुछो बाटे उनसे / रामरक्षा मिश्र विमल

ना शिकाइति कुछो बाटे उनसे
दोष बा भागिए के हमार हो।

प्यार के हाथ जब जब बढ़वलीं
नेह के गीत हियरा कढ़वलीं
नाहिं पवलीं अघाए कबहुँओ
तार टूटल हिया के हजार हो।

लाख चहलीं कि उनके भुलाईं
दीप सुधिया के हम ना जराई
बाकि' अजबे चढ़ल रंग आके
होत जाता दरद चटकार हो।

आजु नयना ना पानी बहाइत
कंठ छने छने ना रूँधि पाइत
ना उमिरिया बिरह में जरइतीं
टूटि जाइत भरम जे हमार हो।

प्यार पाके कबो ना जुड़इलीं
जिंदगी भर हमेशा पिरइलीं
बाकि'रहबार अब ना ई टूटी
छूटी अब ना विमल के बजार हो।