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निकालें दिल से डर मुश्किल बहुत है / अशोक आलोक

निकाले दिल से डर मुश्किल बहुत है
करे पूरा सफ़र मुश्किल बहुत है।

बहारें लौटकर आए किसी दिन
उदासी में गुज़र मुश्किल बहुत है।

किसी भी हाल में बेदाग़ रहना
किसी में ये हुनर मुश्किल बहुत है।

न जाने क्या हुआ है इस जहां को
खुला हो कोई दर मुश्किल बहुत है।

भले ही पास है मंज़िल हमारी
इसे छू लूं मगर मुश्किल बहुत है।