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निगल रही है अब यह पीढ़ी / राजकुमारी रश्मि

निगल रही है अब यह पीढ़ी,
खुशियाँ, सारा प्यार.

     (१)
नागफनी जीभों पर रोपी
मन में उगे बबूल.
भाषा भाव विचार आचरण
सभी है प्रतिकूल.

इनके इतिहासों में होगा
केवल हाहाकार.

     (२)
सपने इनके उड़ते रहते,
हरदम पर फैलाए.
उंच नीच की बात कभी भी,
इनकी समझ न आये.

रहते हैं प्रतिबद्ध सदा ही,
करने को प्रतिकार.

     (३)
जाने कैसा दौर आज का
वस्त्र हो रहे झीने.
लाज और मर्यादा दोनों,
इस फैशन ने छीने.

चमक दमक में उलझ,
घरों को बना दिया बाज़ार.