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निगाह-ए-नाज़ ने पर्दे उठाए हैं क्या क्या / फ़िराक़ गोरखपुरी
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09:34, 20 दिसम्बर 2006
तेरी निगाह ने फसाने सुनाए हैं क्या-क्या ।
‘फिराक़’ राहे वफ़ा में सबक रवी तेरी,
बड़े बड़ों के क़दम डगमगाए हैं क्या-क्या ।
Lalit Kumar
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