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निज़ाम-ए-गुलशन-ए-हस्ती बदल के दम लेंगे / 'क़ैसर' निज़ामी

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निज़ाम-ए-गुलशन-ए-हस्ती बदल के दम लेंगे
हुदूद-ए-रंज-ओ-अलम से निकल के दम लेंगे

शुऊर हासिल-ए-मकसद जिसे समझता है
ये अज़्म है उसी मंज़िल पे चल के दम लेंगे

मता-ए-अमन लुटाएँगे हम ज़माने में
निज़ाम-ए-जब्र-ओ-तशद्दुद कुचल के दम लेंगे

नदीम बहर-ए-मुसीबत में सूरत-ए-तूफाँ
मचल मचल के उठेंगे सँभल के दम लेंगे

नहीं पसंद रिवाज-ए-कोहन हमें ‘कैस़र’
नए निज़ाम के साँचे में ढल के दम लेंगे