Last modified on 12 जनवरी 2015, at 15:29

निमंत्रण / कुमाँऊनी

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:29, 12 जनवरी 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

(भावनाओं के रिश्ते में रचा आमंत्रण , जो देवता, प्रकृति के समस्त उपादान , स्वजनों के साथ - साथ सभी वर्ग एवं वर्ण के उन सभी लोगों को आमंत्रित करता है जो किसी न किसी नाते सहयोगी बनकर जीवन में आते हैं.)

प्रात जो न्युतुं में सुरीज, सांझ जो न्युतुं में चन्द्रमा
तारण को अधिकार ज्युनिन को अधिकार किरनन को अधिकार,
समायो बधIये न्युतिये, आज बधIये न्युतिये, आज बधIये न्युतिये I
ब्रम्हा विष्णु न्युतुं मैं काज सुं, गणपति न्युतुं मैं काज सुं
ब्राह्मण न्युतुं मैं काज सुं ,जोशिया न्युतुं मैं काज सुं , ब्रह्मा न्युतुं मैं काज सुं,
विष्णु श्रृष्टि रचाय, गणपति सिद्धि ले आय,
ब्राह्मण वेड पढाए, जोशिया लगन ले आय ,
कामिनी दियो जलाय , सुहागिनी मंगल गाय ,
मालिनी फूल ले आय , जुरिया दूबो ले आय,
शिम्पिया चोया ले आय I
दिन दिन होवेंगे काज सब दिन दिन होवेंगे काज,
समायो बधIये न्युतिये , आज बधIये न्युतिये I
बढ़या न्युतुं मैं काज सूं, शंख घंट न्युतुं मैं काज सूं
सब दिन दिन होवेंगे काज,
समायो बधIये न्युतिये , आज बधIये न्युतिये I
बाजनिया न्युतुं मैं काज सूं , बहनिया न्युतुं मैं काज सूं ,
भाई बंधू मैं न्युतुं मैं काज सूं , सब दिन दिन होवेंगे काज,
समायो बधIये न्युतिये , आज बधIये न्युतिये I
बढया चोका ले आय , शंख घंट शब्द सुनाय,
बाजनिया बाजो बजाय, आन्गानिया ढहत लगाय ,
बहनियाँ रोचन ले , भाई बंधू शोभा बढ़ाय
अहिरिणी दहिया ले आय , गुजरिया दूधो ले आय,
हलवाई सीनी ले आय , तमोलिया बीढो ले आय ,
सब दिन दिन होवेंगे काज,
समायो बधIये न्युतिये , आज बधIये न्युतिये I